तालेबान का जन्म कैसे हुआ ? | अफगानिस्तान का इतिहास हिन्दी में

तालेबान  का जन्म कैसे हुआ ? | अफगानिस्तान का इतिहास हिन्दी में 

1979 में अफगानिस्तान के प्रेजेंडेंट कमिनिस्ट  लीडर नूर महम्मद तरक्की को मार दिया जाता है ओर इसी के बाद हीं सोवियत यूनियन अफगानिस्तान में इंटर करतीं है


पशटून भाषा  मे तालेबान का मतलब है स्टूडेंट याने (विद्याथी) सुरवात मे तालिबान के लीडर थी मुल्लाह उमर उन्होंने 50 स्टूडेंट के साथ इस ग्रुप को बनाया  था.

तरक्की भी खुद एक कमिनिस्ट  लीडर थे लेकिन इन्हे मारा भी इनके एक फेलो कम्युनिस्ट के द्वारा ही मारा गया था इनका नाम हाफिजुल्ला आमीन  था. हाफिजुल्ला आमीन ने पहले अरेस्ट करा दिया गया ओर इन्हे मारा दिया

अफगानिस्तान में कम्युनिस्ट पर्टी 2 हैस्सो में बट्टा गई  थीं

                              PDAP

             KHALQ                 PARCHAM


ये 2 पार्टी बन गईं थी

ईसी  समय  कम्युनिस्ट ओर इस्मामिक के बेच लड़ाई चलने लगी

हाफिज़ूल्ला आमीन एक कमूनेस्ट थे उन्हे डर लगने लगा अफगानिस्तान के इस्लामिक उन्हे सत्ता से हटा देंगें इसलिए उन्होंने अफगानिस्तान में मस्जिद बनवाये, आपने  भाषणों  में अल्लाह का नाम लेना सुरु किया, कुरआन की कॉपीया बटवाई

लेकिन जनता इन्हे बिल्कुल पसंद नही करतीं थीं क्यू के इन्होने अफगानिस्तान के लोगों का हित बगैर  सोचे बहोत से बड़े फैसले  लिए थे

दिसंबर 1979 इस्से पहले इस्लामिक सत्ता ले पाते सोवियत यूनियन ने अपने सेना अफगानिस्तान ले गए और हाफिज़ूल्ला आमीन को मरवा दिया

सोवित यूनियन के इस हत्त्या के पीछे 2 वज़ह  थी

1 अफगानिस्तान में कम्युनिजम काम हो रहा था और  हाफिज़ूल्लाह के वजह  से कम्युनिस्ट का नाम ख़राब  हो रहा था

2 अगर  सोवियत यूनियन अफगानिस्तान में अपनी सत्ता जमाएगा  तो उसके साइड से 1ओर देश आ जाएगा अमेरेका के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए

हाफिज़ूल्ला आमीन की हत्त्या करने के बाद सोवियत  यूनियन ने बाबरक करमल को हेड ऑफ़ गवर्नल बना दिया गया.

बबरक करमल  ने 2700 से ज्यादा पोलिटिकल को कैद  को छुड़ाया ,रेड कम्युनिस्ट फ्लैग को नए फ्लैग से रेप्लस किया, फ्री इलेक्शन, फ्रीडम ऑफ़ स्पीच,फ्रीडम ऑफ़ रिलिजन, राइट ऑफ़ प्रोटेस्ट

ये सब करने के बाद अफगानिस्तान के लोगों को लगने लगा अब अफगानिस्तान में आमन  क़ायम होगा पर अमेरीका ने देखा सोवित  यूनियन अफगानिस्तान में आपने जडे  फैला चूका है ओर उसके साथ सोवित  यूनियन बियतनाम ओर एथिओपिया को आपने साथ ले लिए है

अमेरिका इस कोल्ड वार में खुदको  सोवियत  यूनियन के पीछे देख रहा था. इसलिए अमेरीका ने अफगानिस्तान को सोवियत  यूनियन से बदला लेने के लिए अमेरीका इसमें कुद पड़ा.

अमेरिका ने अफगानिस्तान के अपोजिट आईडीयोलॉजी याने मुजाहीदिन को सप्पोर्ट किया.


इसके साथ पाकीस्तान ओर सऊदी अरब इस्लामिक मुजहीदिन को सप्पोर्ट कर रहे थे.

अमेरिका के CIA ने अपना  सबसे  बड़ा ओप्रशन किया इस ओप्रशन का ओप्रशन साइक्लोन था उस समय  के अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने सीक्रेटली रकम 5 लाख डॉलर 3rd जुलाई 1979 को मुजाहिदिन को दी गई  थी

उसके बाद भी अमेरीका की सत्ता बदलने  के बाद भी लाखो  डॉलर मुजाहिदिन  को दिआ गया 

कौन थी मुजाहिदिन ?

सुरवात में ये गोर्रेला फाइटर  थे  जो पहडो में छुपकर लड़ाई लड़ते थे


लेकिन अमेरिका का इतना सपोर्ट मिलने के वजहसे इनके पास गन, हथेयार, आंटी एयरक्राफ्ट मसाइल  भी थे इस लिए इस लड़ाई में सोवियत  यूनिन को झटका  लगने लगा

अफगानिस्तान ओर पाकिस्तान के बिच एक पीस  अग्रीमेंट होता है इसके ग्यारअंटर सोवियत  यूनियन और US होते है

इस पीस  अग्रीमेंट के बाद अमेरिका प्रॉमिस करता है सोवियत यूनियन अपनी सेना को पीछे हटा लेगा तो US मुजाहिदिन  को हथेयार  देना बंद कर देगा

9 साल बाद 1989 में सोवियत  यूनियन अपनी सेना अफगानिस्तान से ले जाता है.क्यू के सोवियत  यूनियन खुद  टुकड़ो में बात रहा था

.अफगानिस्तान के राष्ट्रपति नाज़ेमुल्लाह पूरी कोशिश करते है इस सबको ख़त्म करनेकी इसलिए वो नया क़ानून लाते है

 जिसके तहेद अब अफगानिस्तान एक पर्टी देश नही रहेगा  सबको  इलेक्सशन लडनेका अधीकार होगा.

1988 में नए पार्लमेंट इलेक्शन कराए जाते है ओर नाज़ीमुल्लाह के पर्टी PDPA इलेक्शन जीत जाते है उसके बाद नाज़ीमुल्लाह फिरसे राष्ट्रपति बन जाते है.

1990 में अफगानिस्तान को इस्लामिक रिपब्लिक डिक्लेअर किया जाता है नाज़ीमुल्लाह कोशिश  करते है जो भी देश में धर्म कट्टरपंथ है उन्हे सबको एक किया जा सके ओर देश में शांति  बन सके

पर इतना सब होने के बाद भी अमेरिका मुजाहिद ग्रुप को हथेयार  देना बंद नही करता.ओर मुजहेदीन ग्रुप पीछे नही हटता  वो इलेक्शन को मानने से इनकार कर देता है

सोवियत यूनियन नजीमुल्ला को फोरन इन्वेस्टमेंट के जरिए मदत करनेकी कोशिश करता है. पर इसका कोई फायदा नही होता क्यू के सोवियत यूनियन 1991 में खुद टुकड़े होकर बेखर जाता है.ओर 1992 में मुजाहिदिन सिविल वॉर  जीत जाता है.पर मुजाहिदिन खोद अलग अलग लोगों के ग्रुप से बना था इसलिए उनके आपस में है सत्ता के लिए

1992 बुरहानुद्दीन रब्बानी इस्लामिक स्टेट ऑफ़ अफगानिस्तान का नया लीडर बनता है

अगले कुछ साल मे एक नए ग्रुप जन्म लिया 1996 मे तालिबान आता है. ओर  वो बुरहानुद्दीन रब्बानी को पावऱ से हटा देता है.

पशटून भाषा  मे तालेबान का मतलब है स्टूडेंट याने (विद्याथी) सुरवात मे तालिबान के लीडर थी मुल्लाह उमर उन्होंने 50 स्टूडेंट के साथ इस ग्रुप को बनाया  था.


 समय के साथ पाकिस्तान रिफ्यूजी ओर अफगानिस्तान रिफ्यूजी इस ग्रुप के साथ जुड़ते गए. तालिबान ये मुजाहिदिन से भी ज्यादा धर्म कट्टरपंथी थे.तालिबान को पाकिस्तान ओर सऊदी अरब  ने भी सपोर्ट किया ओर अमेरिका ने कुछ ऐसे हालत पैदा किये के तालीबान का जन्म हुआ

अमेरिका ने हथेयार के साथ लाखो डॉलर  भी दिए  मुजाहिदीनोको और टेक्स बुक भी छापाइ जिसमे वॉइलेंट फोटो से भरी  पड़ी थी वही टेक्स बुक तालिबान ने भी इस्तेमाल की थी.

सप्टेम्बर 1996 मे तालिबान कबूल  पर सफलता से कब्ज़ा कर लेता है ओर इस्लामिक ईमिरेट ऑफ़ अफगानिस्तान बनता है. सुरवाती दिनों मे आम लोग तालिबान को सपोर्ट करते है. लोगों को लगता है कुछ अच्छा हो जाएगा तालिबान के आने पर.ओर सुरवात मे तालिबान ने देश के कुछ हैस्सो मे शांति भी बनाए रखी.पर समय के साथ तालीबान की कट्टरपंथी सोच बाहर आने लगते है. जिसके परिणाम वो आम जनता को भुगतान पड़ता है.

तालिबान बहोत सी चीजों पे प्रतिबन्ध ( बन ) लगा देता है.

सिनेमा, टीवी, मुसिक, VCR, फुटबॉल, पतंगबाजी, चैस, पेंटिंग, फोटोग्राफी, कपड़ो पे अम्ब्रीड़ारी करना, दाढ़ी मुंडवाना, विदीशी लोगों पर प्रतिबन्ध, उन के ऑफिस को बंद करना, इंटरनेट, ओर 10 साल से अधिक लड़कीओकी पढ़ाई बंद करना.


तालिबान के राज मे आदमीओको दाढ़ी रखना कंपल्सरी ओर ओरतो को बुरखा पहनना कंपल्सरी था. ओरते अकेले घर से बाहर नही नियल सकती

तालिबान पाशटूनी आईडीयोलॉजी मे मानता था.इसलिए जो पाशटूनी नही है तालिबान उनके खिलाफ  मुकदमा लागु कर देता है . उसका परीनाम ये हुआ हज़ारो मुसलमानो को मर दिया गया, क्रिचन को सताया जाता है, हिन्दूओ को अलग से बचेस दिए जाते है क्यू की वो मुसलमानो से अलग नजर आए.अफगानिस्तान के इतिहास का एक बड़ा इतिहास बुद्धा के मूर्तीया को तोड़ा जाता है.ओर फॉर्मल प्रिसेडेंट महम्मद नाज़ेम्मुलाह को भी मर दिया जाता है.


1990 मे बचे हुए मुजाहिदिन तालीबान से लाडनेकी कोशिश करती है. इन्हे कहा जाता है नारदन अल्इन इसका कमंडार अहमद शाह मस्सउद ये 2001मे नॉर्डर अल्ऐन के लड़ाई हार जाता है.ओर अहमद शाह को भी मर दिया जाता है.



ये होने के 2 दिन बाद 11 सप्टेम्बर 2001 एक तेररीस्ट ग्रुप अलकायदा अमेरीका मे 911 हमला करवाता है. 2 अटैक पूरी दुनिया को बदल कर  रख देते है.

अलाकयदा का लीडर उस समय पर सऊदी तेररेस्ट ओसामा बिन लादेन था. तालीबान ओसामा बिन लादीन को छुपनेमे मदत करता है.


ओसामा बिन लादीन अमेरीका का को 1लेटर लिखता है ओर कहता है. हमने बदला ले लिए है जो अमेरीका करने लग रहे है सोमालिए, लिब्या, अफगानिस्तान जैसे देशो मे.

अमेरीका 911 के हमले का बदला लेनेके लिए अमेरिका अपनी फाॅर्स को अफगानिस्तान मे भेजता है.अमेरिका अफगानिस्तान मे एयर स्ट्रिक्ट करवाता  है.

इस में कई मासूम लोगों की जान जाती है. ओर अमेरिका पाकिस्तान मे भी तालीबान के ठेकानों पर एयर स्ट्रिक्ट करवाता है.ओर नॉर्डन अलइन का सपोर्ट लेके US 2001 तक तालिबान को पीछे दकेल देता है.

उसके बाद हामिद कर्ज़ाई नए राष्ट्रपति बन जाते है अफगानिस्तान के 2004 मे फिरसे एक नया सिस्टम बनाया जाता है अफगानिस्तान मे ओर चुनाव किये जाते है ओर 6 मिलियन से ज्यादा लोग वोट डालते है. कर्जाई फिरसे राष्ट्रपति बन जाते है अफगानिस्तान के ये इंडियन ओर अफगानिस्तान के सम्बन्ध अच्छे बना लेते है.

2011 मे ओसामा बिन लादेन को भी मर दिया जाता है US फाॅर्स द्वारा.


तालिबान भी अफगानिस्तान के अलग  अलग जगह पर बोबिंग करवाता है जिसमे बहोत से आम  लोग मारे जाते है.तालीबान देश के अलग अलग हैस्सो मे आपनी पकड़ मजबूत करता जाता है. फेफरूअरी 2020 मे डोनल्ड ट्रम्प US के प्रिसेडेंट बन हुए है. वो तालिबान के साथ सुलह के बात सुरु करती है. वो बात करते  है तालिबान अलकायदा जैसे टेरोरीस्ट सारे सम्बन्ध काट देगा तो अमेरेका अपनी सारी फाॅर्स अफगानिस्तान से हटा देगा.

ओर अमेरीका अफगानिस्तान को छोड़ कर चला जाएगा

क्यू के अफगानिस्तान मे अमेरिका का बहोत  खर्चा हो रहा है. अभी तक 2 ट्रिलियन डॉलर  अमेरेका इसमें लगा चूका है. ओर अमेरेकान्स भी इसके खिलाफ है. उन्हे लगता है कैसे दुसरीके लड़ाई मे अमेरेकाके जवान 20 साल से वहा लड़के शहीद हो रहे है. इसलिए अमेरिकाने 911 के 20 साल होने से पहले उसके सारे फाॅर्स को अफगानिस्तान से निकाल दिया है.


2021 मे तालिबान सबसे  ज्यादा ताकतवर  हो चूका था उसके पास 85000 लड़ाके है.


जो बैड़न अमेरेका के राष्ट्रपति उनका कहना था अफगानिस्तान के पास 3 लाख जवान है तो तालीबान अफगानिस्तान को नही हरा सकता पर अफगानिस्तान के के राष्ट्रपति ने बिना कोई विरोध के तालीबान को अफगानिस्तान दे दिया ओर वो खुद देश छोड़कर चले गए. उनका कहना है देश मे आम लोगों का खून  न बहा जाए इसलिए उन्होंने आत्मसम्मान किया है

अब तालीबान पूरी अफगानिस्तान पर कब्ज़ा कर चूका है. 

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